नीमकश
एक ख़याल है , जाने कब तक परवाज चढ़े, एक जूनून है , जाने कब तक रगों में दौड़े...
Thursday, January 1, 2015
अंधेरे चेहरे
इस डाल से उस डाल
छनक छनक आरही रौशनी
नदी एक ढूंढ रही
आगे चलने का रास्ता।
कशिश एक मिलन सागर से
बनती जाती गहराईयाँ
पटते जाते अनजान रास्ते।
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