Thursday, June 4, 2015

सब कुछ चाहिए

इस बीज को - सब कुछ चाहिए।
इंतज़ार इसे
थोड़ी बारिश, थोड़ी गर्मी,
थोड़ी ठण्ड, थोड़ी गर्मी।
अभी चीर सीना धरती का
देखना गगन विशाल।

इस पौधे को - सब कुछ चाहिए।
थोड़ी हवा, थोड़ी ओस,
थोड़ी धूप, थोड़ी छाँव।
लहलहाता सा मुस्कुराता
खिले उठेंगी बांछें, सिमट जाएगा आकाश।

इस पेड़ को - सब कुछ चाहिए।
थोड़ी आँधी, थोड़ा सूखा, 
थोड़ी बिजली, थोड़ा तूफ़ान।
फूटती कोंपलें चूम रही गगन विशाल
बस रहे बसेरे, फल रहे बीज नए।

इस जीवन को भी सब कुछ चाहिए।
कभी मिलता ,
और कभी -
अधूरा सा छूट जाता।
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29/05/15

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