एक अधूरा स्वप्न, हो तुम.
साथ साथ मेरे - फिर भी
रोम रोम मेरे सिहर रहे.
मैं जहां भी रहूँ - जो भी करूं
संग मेरे - रहते हो तुम.
अभी अभी - जो छू कर गयी
अभी अभी - जो छल कर गयी
नित नए रंगों में ढल, आते - जाते
पल पल नूतन - स्पर्श हो तुम.
कोई मेरे आगे, कोई मेरे पीछे
भीड़ में मैं , मुझमें भीड़
कोई कहता कुछ , कोई सुनता कुछ
मन का मेरे शांत - कोलाहल हो तुम.
ना मैं तुमसे अछूता , ना तुम मुझसे
परे परे रहकर भी , एक दूसरे को निहोराते
सब कुछ संजोया मेरा- बिखर सा जाता
दर्पण में छिपा , एहसास मेरा हो तुम.
------------/-------------------+-
साथ साथ मेरे - फिर भी
रोम रोम मेरे सिहर रहे.
मैं जहां भी रहूँ - जो भी करूं
संग मेरे - रहते हो तुम.
अभी अभी - जो छू कर गयी
अभी अभी - जो छल कर गयी
नित नए रंगों में ढल, आते - जाते
पल पल नूतन - स्पर्श हो तुम.
कोई मेरे आगे, कोई मेरे पीछे
भीड़ में मैं , मुझमें भीड़
कोई कहता कुछ , कोई सुनता कुछ
मन का मेरे शांत - कोलाहल हो तुम.
ना मैं तुमसे अछूता , ना तुम मुझसे
परे परे रहकर भी , एक दूसरे को निहोराते
सब कुछ संजोया मेरा- बिखर सा जाता
दर्पण में छिपा , एहसास मेरा हो तुम.
------------/-------------------+-
No comments:
Post a Comment