देख दुश्मनों के अहले करम
कुछ दोस्त पुराने याद आये।
नन्हीं उंगलियाँ उठीं लपकने आसमां
वो ख्वाब पुराने याद आये।
दश्ते वीरान से, मचल उठी हवाएं
नज़ारे बागे बहाराँ याद आये।
बिजलियाँ रात भर, गरजती रहीं बादलों में
वो रुख से किसी का, सरकता नकाब याद आये।
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