नीमकश
एक ख़याल है , जाने कब तक परवाज चढ़े, एक जूनून है , जाने कब तक रगों में दौड़े...
Sunday, April 21, 2019
लघु कविता
सारे
जग
का
जल
जा
मिले
,
पर
खारा
सागर
हमार
;
घनन
घन
बारिश
बरसे
,
पर
स्वाति
बूँद
का
इन्तजार
;
सारा
जग
उजियारा
करे
,
पर
दीया
तले
अन्धकार
;
मैं
भी
खुश
तुम
भी
खुश
,
पर
दुखिया
सारा
संसार
;
अजबी
जगत
की
रीत
गजब
,
कहे
कविराय
'
अनिल
कुमार
'
।
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