Sunday, April 21, 2019

तस्वीरें



वो कागज़ कोरा, कलम, स्याही 
उसी ने थमाई ,
उन्मादी मन मेरा
खींचता गया- लकीरें आड़ी तिरछी 
तस्वीर कोई नहीं |

बूँदें बारिश की - जाने कब कहाँ से आई
भिगो गयीं कागज मेरा |
उभर रही थी तस्वीरें 
लकीरों के बीच
देखता रहा मैं टकटकी लगा |

हवा का झोंकाअचानक 
उड़ा ले गया कागज़ 
देखता रहा - दूर तक 
तैरता कागज़, तैरती तस्वीरें |

सोचता रहा 
वो लकीरें -
उसी की रहीं - उसकी तस्वीरों  सी |

महसूस कर रहा हूँ -
हथेलियों में - कागज़ एक और |
---------------

No comments:

Post a Comment