वो कागज़ कोरा, कलम, स्याही
उसी ने थमाई ,
उन्मादी मन मेरा
खींचता गया- लकीरें आड़ी तिरछी
तस्वीर कोई नहीं |
बूँदें बारिश की - जाने कब कहाँ से आई
भिगो गयीं कागज मेरा |
उभर रही थी तस्वीरें
लकीरों के बीच
देखता रहा मैं टकटकी लगा |
हवा का झोंका - अचानक
उड़ा ले गया कागज़
देखता रहा - दूर तक
तैरता कागज़, तैरती तस्वीरें |
सोचता रहा
वो लकीरें -
उसी की रहीं - उसकी तस्वीरों सी |
महसूस कर रहा हूँ -
हथेलियों में - कागज़ एक और |
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