नीमकश
एक ख़याल है , जाने कब तक परवाज चढ़े, एक जूनून है , जाने कब तक रगों में दौड़े...
Sunday, April 21, 2019
अहसास
टूटी
टहनी
,
बिखरे
पत्ते
,
उजड़े
नीड़
,
बिलखती
नन्ही
सी
चिड़िया।
कब
देखा
पलटकर
दूर
जाते
उस
मदमस्त
हवा
के
झोंके
ने
?
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment