लहरों को देख
मचल उठते लोग
अल्हड़ सी चाल इनकी
एक दूसरी की होड़ करती
तेजी से लोटपोट होतीं
दूर से ही, लुभाती
शोर में इनके भर जाता
सारा सागर |
पटक देती किनारे
ढेर सारी सीपियाँ
गुम हो जातीं - लहरें
उसी सागर की गोद |
जुट जाते बटोरने सीपियाँ
रेत में -धंसते लोग|
होड़ में लगे
सीपियों को निरखने परखने
अंधे, बहरे -बदहवास लोग |
रेत -नदी ने बटोरे
पहाड़ों के सीने छलनी कर
सागर में उँडेले
सब वापस किनारे-छोड़
सागर में गुम हो जाती -
बलखाती लहरें |
छूने लहरों को - आगे बढ़ते
फिर दूर भागते
कुछ भाग लेते - कुछ गोते लगाते
कुछ लहरों के साथ किनारे आते
किलकारी लगाते -बौने लोग|
पर सागर का क्या -
अगिनत लहरें छिपा रखा -अपनी ही गोद
पुरानी लहरें - भूल
नई से उलझ जाते
भोले-भाले, भुलक्क़ड लोग |
बहुत कुछ छिपा -इस सागर में
धाराएं - दिखती नहीं
छिपी गहरे समुन्दर में
चुपचाप-अत्यंत तीव्र
बदल देती दिशाएँ -लहरों की
विरलों से एहसास किया
ढूढ़ते मोतियों को
शांत धीर-मति लोग |
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