Sunday, April 21, 2019

संजो रखना



यह शाम-ढलने से पहले
मैने दी तुम्हें
संजो कर रखने।
बिखेर दी तुमने-इसे
स्याह रात कर
सारे शहर पर।
जब फिर गुजरूं
इस द्वार से, इस डगर से
रोकना मत मुझे
मत पूछना- सफर का हाल।
कहीं ऐसा ना हो
सौंप दूं तुम्हें - इतिहास
और बिखेर दो -सारे गगन में
टिमटिमाते तारे सा।
टिक जाए-रम जाए इतिहास
थिरके - जब भी देखूँ इसको।

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