Sunday, April 21, 2019

कैसा है



कैसा है- मन
बिन पंखों के उड़ता -
गगन मगन
कैसा है- जीवन ,
कुछ नहीं अपना
पर संजोता
हर कण
कैसी हैं- आँखें
हो कर भी दो -
दिखता एक
कौन हैयह अजनबी
देखा नहीं कभी
पर साथ मेरे अब भी
कैसी है- डगर
कहीं नहीं मंजिल
पर बढ़ते ही जा रहे हमसफ़र .

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