Sunday, April 21, 2019

उसीने- ghazals



जला दिया उसी एक चिंगारी ने मुझे
तूफानों से बचा कर लाया जिसे मैंने।
बिखेर दिये ख्वाबों को उसी झोंके ने
बागों में सजाया सदियों जिसे मैंने।
डुबो दिया उसी एक कतरे ने मुझे
पलकों से छलकने ना दिया जिसे मैंने।
उसी बुत से ठोकर लगी दिल को हमारे
पत्थर से तराश खुदा बनाया जिसे मैंने।
.......
वाईस मैखाने में जाता नहीं,
पता खुदा का कोई और नहीं।
कहते हैं किस जर्रे में वो नहीं
फिर भी हमको यकीन नहीं।
झुकता सर सजदे में अब नहीं
कंधों पर अपने फिरते, आरजू कुछ नहीं।
आयेंगे अभी, पर लौटे अब नहीं
भरोसा रखते सब पर ऐतबार अब नहीं।
देख दुश्मनों के अहले करम
कुछ दोस्त पुराने याद आये।
नन्हीं उंगलियाँ उठीं लपकने आसमां
वो ख्वाब पुराने याद आये।
दश्ते वीरान से, मचल उठी हवाएं
नज़ारे बागे बहाराँ याद आये।
बिजलियाँ रात भर, गरजती रहीं बादलों में
वो रुख से किसी का, सरकता नकाब याद आये।
ख्वाब एक हसीं मंजर का, परवान चढ़ रहा था,
सिसकियों ने जाने किसकी, मंजर ही सारा पलट दिया।
उम्मीद पर अभी अभी, संभले थे जानिबे मंजिल
हकीकत ने फिर सेजखम दिल का हरा कर दिया।
लौट आने का वादा, खूब किया निगाहों ने तेरे
दरो दीवार के सायों ने, तनहा ना हमें रहने दिया।
रौशनी उनकी आँखों की, क्या बताएं हम तुम्हें
रात देर तक हमें, सोने चैन से एक पल ना दिया।
कहते थे बातें हमारी, सुकून दिल को उन्हें देती हैं
महफ़िल में चुरा कर नज़रें हमसे, अजनबियों से वास्ता उन्होंने किया।
बेतकल्लुफ़ी का गिला कब था इस दिल को
बेरुखी ने  उनकी, अब ज़िंदा ना रहने दिया।

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